
दुआ करो ईद पर खुद पास आ जाए,,,,
ईद की मुबारकबाद दे युवतियों ने उठाया मुशायरा का लुत्फ।
मुंगेर (बिहार) । पाक रमजान महीने के महान त्यौहार ईद के अवसर पर मंगलवार को रोजेदार मुस्लिम महिलाओं के मुशायरा का आयोजन तोप खाना बाजार स्थित डॉक्टर जाकिर हुसैन के आवासीय परिसर में उल्लास पूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ। अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला शाखा मुंगेर की ओर से आयोजित इस कवयित्री गोष्ठी में संस्था के अध्यक्ष मधुसूदन आत्मीय ने कहा कि मुबारकबाद देते हुए हाथ मिलाने से जो तरंगे उत्पन्न होती है वह दोनों शख्स को करीब लाती है॓ तो गले मिलने पर दोस्त सहेली या औरों के दिल की धड़कनों का एहसास अपनी धड़कन में होता है। यही एहसास मुसलमान को हाथ मिलाने और गले लगने वालों को अपने करीब लाता है। इन्होंने एक शेर सुनाया ” खुदा की मौजूदगी का एहसास हर बार रमजान कराता है, नासमझ इंसान मगर हवन बनता जाता है।”
युवतियों ने ईद मुबारक बाद देने के पश्चात रचनाऒ को सुनाया। सर्वप्रथम श्रीमती मारिया ने ” दुआ करूं ईद पर खुद पास आ जाए….” नज्म सुनाया। अन्यायुक्तियों ने वह वही कर इस भावना का स्वागत किया। आस्मा ने “ए खुदा जमीन पर तेरी जंग होगी कब तक? इंसान का खून इंसान पिएगा कब तक…?” सुनाकर इंसानी जिंदगी के सबसे बड़े सवाल से लोगों को चौंका दिया। सब सिद्दीकी ने ईद का दिन है दिल की बातें कर लो आज …। ” जारा ने सुनाया ” रब को याद करूं, हर दिन फरियाद करूं। फिर लाडली ने एक गीत गया- मुझे मिल गया बहाना तेरे दीद का . . .। दरख़्शा ने अल्लाह से सवालिया लहजे में पूछा- ज़मी पर तेरी खुद जंग होगी कब तक? मारूफा सिद्दीकी ने ” परवरदिगार आलम तेरा ही है सहारा .. !” अंत में रफत फातिमा की इबादत, ” अलविदा रमजान ईद की खुशी लेकर फिर आना/ भूले भटके इंसानों को सही राह दिखाना…” दुनिया के इंसान की चाहत और इस धरती को विनाश से बचा जन्नत बनाने की कामना से अभिप्रेत रही। परिषद के महासचिव प्रमोद निराला ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
समाचारक् के साथ कवि गोष्ठी में भाग लेते कवित्रीयों की फोटो संलग्न है।